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नहीं साहित्य प्रेमी होने के साथ साथ वे विद्याप्रेमी तथा विद्यानुरोगी भी थे। अजमेर का ढाई दिन का झोपा इन्हीं के द्वारा स्थापित एक विदयापीठ था। स्वयं बीसलदेव ने हरकेलि नाटक लिखा है जिसके कुछ भाग पत्थर पर सुदे अजमेर की एक मस्जिद में मिले है। हिन्दी के प्राचीन काव्य नरपति नालब कृत बीसलदेव रासों में इन्हीं बीसलदेव का वर्णन है। महाकवि सोमदेव के ललित विग्रह राज के कुछ भाग भी इसी तरह मिले है।
अजमेर दिल्ली पर दूसरे प्रसिद्ध शासक (११७१-१२) पृथ्वीराज हुए इन्होंने कन्नौज के जयचन्द की पुत्री संयोगिता का अपहरण कि । गोरी को इन्होंने कई बार हराया तथा महोने के चन्देल शासक परमाल पर आक्रमण करके इन्होंने कई किले जीते। ये सन् १९९२ में जयचन्द की सहायता लेकर फिर लड़ने आये और देश की कूटनीति और फूट के कारण अन्य में हारे तथा मारे
गए ।
कहते हैं कि पृथ्वीराज रासों के लेखक महाकवि बन्द इन्हीं के दरबार में रहते थे। इनकी मृत्यु के पश्चात दिल्ली अजमेर का शासन विदेशी आक्रमणकारियों (मुसलमानों) के हाथ में चला गया।
कलडरी मंत्र:
जबलपुर के कोक्स का यह राज्य कलचुरी वंश का था । महाराज य (१०११-१०४१) अत्यन्त पराक्रमी है। इनका दाष्य प्रयाग, काशी, उत्कल पर्व कम तक था। अन्त में ये मोज परमार से हर गए। मंगुली और राजा भोज की कहावत प्रसिद्ध है। इनके बाद यह बंधवा हो गया।
इसके दिले बड़े प्रसिद्ध थे। प्रसिद्ध शासक जेजा के कारण
ही इसे जेजाक मुक्ति कहते है। उदक में बजुराहों के प्रसिद्ध मंदिर को ब
के महाराज यशोवर्मन ने बनाया। धग और पैड के बाद अन्तिम चंदेल राजा परमाल