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श्री गिरनार मन्डन नेमिनाथ बीनती
यह रचना भी नही सरस है रचनाकार जयसागरहै। रचना अप्रकाशित है। पूरी रचना १५ गाथाओं में है। बीच में कवि ने घात लगाकर विभाजन कर दिया है। रचना आलंकारिक व है:
" काम मद राज मद, रूप मद पूरियो, कवि परदोस पर ताति पूरियो विषय सुख विषय विष, वेग उन्मत्तत्र कहहि पत्र अनिय सरि पत्तो कारवि कृपा वेगी करि पारि करि सामिया जाणिक त्रिवि महमरियवर पामिया पड़त मव कूषि आर्लब मह दिज्जए एम राई उत्तमाचार पइिज्ज वणि मार्क जहि नेमि अवयन सायचियमाय संबंध मुनि धन्नो जलदगल मज्जि जल बुधि सोहान नेमि जिन जन्म कल्यान गुम सोने
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संसार तारण, दुरिय वारण, सुक्ल कारण संगमो, गिरिवार मंडण इरिय बैडण कव्यतुर वर जंगमो
मोनिक
नइ पुणिय जादव, राय नंबन, सुजई सायर मंदिनी सो नेमि जिनवर दिस्त मे इस प्रकार पूरी रचना मे है तथा कवि में गिरनार म नेमिनाथ को संसार की afa for a और पापों के प्रति वमा याचना की है। इसी भांति नमस्कार और अति संज्ञक रचनाएं भी स्तुति प्रधान है। इनर कामों में विरह नाम जिन नमस्कार तथा रिवि मंडळ नमस्कारो और प्रशस्ति सरकार मान सम्बन्धी रमा प्रसिद्ध है। सम्मान का भक उदहरण लिय:
• वाद निम्म पयासकरं
गमला
महज व मु
उपायमूले सहरमा ते जिवलोय
धमान विदे का रि जिन महूद सूरि कमाण