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मेठति तिष्य पुह बइय माल अगेसरा गायति पश्यण मायरो अ, पण वरजण सरा
रण मणा प्रिय शुद्ध पाभिजिमि मोह निगल हापित
जिण प्रबोध सूरि महुए मजद पर असुर भरसंपुष्ट वस्तुत: ये रखनाएं जिननयों पट्टोत्सब के काम में भी लिखी जाती थी। रमना में अपर प्राचीन राजस्थानी तशा तत्सम शब्दों का प्रयोग स्पष्ट स्तोत्र कारिक
श्री जय मानिाथ बोली
प्रस्तुत रमा वादिनाथ का गीत पाठ है। रबमा मालकारिक व मन भाषा से लिखी होने से पर्याप्त सरल है उदाहरण देसिए:
• जा चंदकुंव समुत्ति दित्तिहि सगर तिय धवलिये बन पाय पंक्य हंस जिवसुर असुर राय सेविय
मब कुंद बाप वेडल केकी वासीया सार पय बादशी यानि म इमरिया
भी मार मम्मिर भालरि योनि का मानहाइस तरह बम तीर्थ के आदिनाथ वीकर पर माशो में पूरी बोलिका या मोडी लिपीबईमा कारमा का प्रति वर्गम वृन्टब्य है।
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मैमिमा बोली
यात्मक
माय मा are मान आदि सभी का वर्णन कवि ने पार प्रस्तुत किया। उपासमा बा पचति व भक्ति गान का