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भादिनाथ बोलिका
आदिनाथ के स्तवन के लिए कवि ने मालिाथ पर उन्लासमय बोलो से यह कड़ियों का स्तोत्र प्रस्वत किया है। पापा सरल स्तोत्र सरस तथा मेय है। १४वीं शताब्दी कीरनामों में इसी प्रकार कीबोत्र रबमाएं उपलब्ध है एक उदाहरण देखिए:
• बाबा दियावहि जीव रक्सवाहि लोया मिलिया रोक वा जमामिड कहहि मिला उमभूलहि दुह बंड ता कल सपिगारिणी मावय सारिहि मिनि रिसह विर्षिक ना करा गिइ सरह मुगाह पहिरावणी सुरंग
डा मब भामा यहि रामा, मासिय मावि बा बन्धादि देवदि देवपुत्री, महाका माति का शिवकी हिदिति भण आनं दिहि रंगिहि भवहि बाल
वा भाइ सन्जिरि मलि बन्या मदन भर साल. इस रचना में कवि ने लय aro, राम चूमर या पुरि भाबि का वर्णन किया है। माया स्मन्ट होता है कि इन भावामा स्वबनो बान के पास और धुम्मर आदि भी होते हो।
जिन प्रकोप पुरि बोलिया
बाबा जिन प्रयोष हरि के आमों, अब, प्रभाव और दीक्षाको
बारची बई है। पूरी रचना माथानों में श्रिीमान व भाषा परत और स
माय मणि मण्यात कटार रेजिम अगवा Tोब वर परिसिक सिमित गरिक कसोर कपि डकि का