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________________ ८६४ भादिनाथ बोलिका आदिनाथ के स्तवन के लिए कवि ने मालिाथ पर उन्लासमय बोलो से यह कड़ियों का स्तोत्र प्रस्वत किया है। पापा सरल स्तोत्र सरस तथा मेय है। १४वीं शताब्दी कीरनामों में इसी प्रकार कीबोत्र रबमाएं उपलब्ध है एक उदाहरण देखिए: • बाबा दियावहि जीव रक्सवाहि लोया मिलिया रोक वा जमामिड कहहि मिला उमभूलहि दुह बंड ता कल सपिगारिणी मावय सारिहि मिनि रिसह विर्षिक ना करा गिइ सरह मुगाह पहिरावणी सुरंग डा मब भामा यहि रामा, मासिय मावि बा बन्धादि देवदि देवपुत्री, महाका माति का शिवकी हिदिति भण आनं दिहि रंगिहि भवहि बाल वा भाइ सन्जिरि मलि बन्या मदन भर साल. इस रचना में कवि ने लय aro, राम चूमर या पुरि भाबि का वर्णन किया है। माया स्मन्ट होता है कि इन भावामा स्वबनो बान के पास और धुम्मर आदि भी होते हो। जिन प्रकोप पुरि बोलिया बाबा जिन प्रयोष हरि के आमों, अब, प्रभाव और दीक्षाको बारची बई है। पूरी रचना माथानों में श्रिीमान व भाषा परत और स माय मणि मण्यात कटार रेजिम अगवा Tोब वर परिसिक सिमित गरिक कसोर कपि डकि का
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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