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सिर गिलाल मचकुंद कैपिलिं, पाडत नइ अरविंद दमण्ऽ मन्या जूही कंदा, वाला केटल बंद
जय जंगम पर बरु सरिसव, सेवक जन वंछिय करण देव वरनाण सरोवर राजहंस, पादन कुल कोमल कमक इंस
लउ तियण तारक तरप पुर, बळ यह विधि पसरिय पूजस पूर इस प्रकार पूरी रचना भाव प्रवण है। भाषा सरल एवं सरस है। धार्मिक क्या उपासना सम्बन्धी है।
पंचतीर्थकर नमस्कार स्तोत्र
आदिनाथ, गतिनाथ पारनाथ मे भिमा आदि बार प्रमुख तीर्थकों को नमस्कार करने के रूप में तथा उनके गुण वर्णन करने के रूप में कवि जयसागर विरचित चवी नमस्कार स्तोत्र प्राप्त है। रचना उल्लास प्रधान गीति का है जो कुल "दों में लिखी गई है। भाषा उदाहरण देधिः
* रोमानिस हिबा परमार मयष अभिय रस पीलमा, बील मादि निर्णय माव ताय गुरु देव कई हरि शुभाधार हुम मिण भवर कोई मा, मावि मा करि मार
मा म जियार रक्त, पब विसंगन बीर पीरिण पुमि मिरिवार गिरि, जिण पामि भवबीर गौरव माविबा, मुषि मिस्त्री गिरिनार
शिरि रमय माग गरिए. सोहा मेमिकमार कविरोषोक वाषिरीरिक व्याधियों से बचाने की मंगल कामना
काम नाम रखा है। रमा की भाषा स्वस्ट सरत हिन्दी बसव: