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बावीस जिन स्तोत्र
यह स्तोत्र जयसागर विरचित कवि ने निन्द्रों का प्रशस्ति गान किया है। पूरी रचना वर्णनात्मक है। कुछ प्रवाहपूर्ण सदाहरण इस प्रकार है:
*विमल महामति सुभ दातार, विमल जियेसर सेबसार जिण अर्णव पण मनाउ, पट बंचा दिय बा धरमनाथ जिम धरम गुमाल पावडं पाडर हुक्कात मंतिमी मि उमर भयकर करई सिन सेवर क्यवार
डिव जिम जफिड वेवी सा पानाह तक्विान समज
महावीर महिमा मंडार को सेवा यो जापड भार इस प्रकार सामान्य रूप में मरल भाषा में कवि ने चौबीर्थों जिनेन्द्रों को श्रद्धा स्निग्ध प्रणाम किया है। रचना का उद्देश्य धार्मिक है।
मेमिनाथ भाव पूषा स्तोत्र
पूरी रचना पाय प्राली बीम
पाली मई मागे समानामा पूर्व सेना की शा को कवि ने ग्लास प्रधान बाली में अपित किया है। नालन्टन:
"पुरमा पूर्वमा बाबा, वे गार गाव सोडवा बडीयोमादेव देवा, मावा ली येवा बनी बीरली हि पारेवि पूरी, मनोरंक घोडके मला पूरी मदेव बामि मा बाम, वा महामोड मत पहल नाम
मानक भोलि य बापार कंक गुण धरने प्रषु पूरति अति म सक बी नई वाडि पि बी दुनिई मेवाडि, डोदर मा हुर्दम दिन बिदेविकडिणी गोडई सिम बिम बन गयण विमोड