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कृतक और कभी कभी कानी तकनका विशाल राज्यला हुआ था और सुदूर दक्षिण रामेश्वर ही नहीं, कभी कभी तो सिंहल पी उनकी आज्ञा को मानता था । कितनी ही बार उनके चोड़ों की टाप ना और गंगा के इवावे (अंतर्वेद) में प्रतिध्वनित हुई थी । कितनी बार उनके सैनिक युक्त प्रान्त के दुर्गा में मालिक बनकर बैठते थे।
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पालवंश:
इस वंश में गोपाल और धर्मपाल प्रमुख शासक थे। गोर्डेश्वर नागभट्ट को हमारे साहित्य को ८४ सिद्धों को देने का है। अनेक कवि इनके यहां आश्रय पाते रहे। अतः पालवंश के राजाओं को अपभ्रंश के स्वयं और पुष्पदंत जैसे कवि उत्पन्न करने तथा उन्हें आश्रय देने का यह प्राप्त है।
नये वंश:
गाइडवार
प्रतिहारों के पश्चात् बने गए राजवंशों में अजमेर के चौहान, बुंदेल खंड के चन्देल, त्रिपुरी के क्लचुरी तथा मालवा के परमार प्रमुख थे। कन्नौज में प्रतिहारों का शासन बना था। इस वंश में राज्यपाल- अनंगपाल तथा अंतिम शासक यशपाल हुए। राज्यपाल के समय सुस्तान मुकुक्तीन ने तथा अनंगपाल के समय महमूद गढ़वीं के आम हुए तिने प्रतिहार शासक (सन् १०३६) बिन्होंने १०३६ तक राज्य किया।
पाव
कमी का कुछ वैभवशाली केन्द्र प्रतिवारों के बाद गाहड़वारों के हाथ लगा। गाइबारों में इन्द्रदेव, गोविन्द चन्द्र के पश्चात उनके पुत्र महाराज
१- हिन्दी सम्म पारा रा सीकृत्यायन पू० २५ ।