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*सत्यपुरीय महावीर उत्साह का रचना काल सं० २०८९ के लगभग है तथा इसके रचनाकार धनपाल है। इस कृति का सम्पादन श्री निजिन विजय जी ने किया था और बहुत पहले यहरचना प्रकाशित भी हो गई थी । पर इस रचना को अपर तथा प्राचीन राजस्थानी की समझ कर इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। परिवीलन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कृति अपत्र और हिन्दी भाषा के बीच की एक कड़ी है और इसके हिन्दी के शब्द स्मों के बीच में एक विमाज्न रेखा खींची जा से इस रचना का महत्वऔर अधकि बढ़ जाता है।
द्वारा अपग्रेड और
सकती है। इस दृष्टि
प्राप्ति स्थान
प्रस्तुत कृति पाटन के भंडार उपलब्ध हुई तथा ० १३५७ में लिखी प्रति के स्तोत्रों में से निकाल कर मुनिजन विजय जी ने इसको प्रकाशित किया था, परन्तु गुजराती पत्र में प्रकाशित होने से वह कृति अप्रसिद्ध और अप्रकाशित की भांति ही बनी रही। पर कृति की पौराणिकता के कारण यह और भी आवश्यक हो जाता है। कि इसका सम्पर्क अनुशीलन प्रस्तुत किया जाय।
धनपाल की एक कृति पाकृत
सत्यपुरीय महावीर उत्साह के रचनाकार में पाइयलक्कीनाम माता *सं० २०१८ की भी उप होती है। करी की पूर्व ली को देखकर ही लेखक की रचना की वरना शक्ति का अनुमान सब ही किया जा सकता है।
रचना स्थान:
प्रस्तुत कृति का स्थान सत्यपुर है। महावीर की मूर्ति इसी स्थल पर वर्णित है। सत्यपुर मारवाद का साचोर नामक स्थान था। यह स्थान अब भी जोधपु
- १९८३ ० २४४ सम्पादक बुनि जिन विजय ।
१० नही है।
३- देखिए भावना कवियो: के०का० शास्त्री, २०१५१