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हर्षवर्दध के पश्चात् वर्मन ( ७२७-०५२) का प्रसिद्ध राजा यशोवर्मन हुआ। स्वयं शोवर्मन को काश्मीर से हार माननी पड़ी। आठवीं शताब्दी पी वी के समान अत्यन्त हलवल प्रधान है। यो इसी समय ही हमारे देश पर अरबों ने सिन्ध पर विका प्राप्त की थी। बाठवीं शताब्दी के मध्य तक इन अरयों के अनेक आक्रमण हुए। वर्णन के यशोवर्मन के दरबार में उत्तर रामवरित बैंस नाटककार तथा प्राकृत कवि वाक्यपति जैसे विद्वान
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वर्ष के समृद्धिशाली राज्य की राज्धानी कन्नौज को ७८० मायुध के शासकों ने हाथ में लिया। हर्षवर्धन के सामाग्य के जो टक्के गुप उनमें निहार बंगाल के पाल, गुजरात और मालवा के प्रतिहार प्रमुख थे इन दोनों की आमनीन पर लगी धीं।' इधर दक्षिण के राकूट भी कन्नौर को 'लना चाहते थे। आयुर्व के रामा इन्द्रायुध और चायच होनों निर्मल थे। वस्तुतः प्रविकार बत् राब (सन ) और मोडेश्वर धर्म पाल ने माधव कनीय भगीरथ प्रबत्म लिय। पर वर दक्षिण रामर राणा व (ne-m ने की बात पर पानी फेर दिया। रामलूट म
माना की प्रथा मिनी की गाय, क्योकि उन्ही की मासे अवसाहित्य महापि स्वयंम् कि बाबराब स्वयं
अ y किसान कई अन्य रचे है। इससे पा रास्ट और प्रतिहारों के प्रकर मन की बाग बनी सी थी। मन में तीनों जन नायक एतदर्थ नये
हए। मयाब नगरी को रावामी शेड़ना नहीं चाहती थी।
..दीपारिवका आदिकाल से, हा सारी प्रसाद होती। देशिवमारा राजस्थान. ४ासी विद्याप्रकार हिन्दी पवन प्रवास, १ .