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मंडली भी स्थिर हो सकता है की गुणों की सम्यक प्रकार के रखा हो, जप तप व्यर्व समक कर मन की इश्चि की जाय, चिदानंद जो सभी परीरों में स्थित हो उसे समा जाम:
चिदानन्द सो रिपु मल सरी सोई महादि सो पूपियाई आदारे गगण मंडल धिर होड
केह केस मुवावहि के सिर चट पार माप्चावि दुभ माहि जादारे 'कि भयावहि भवपाल विी काट बाहिब बहि, सहदि परीसह भारु देख्न पामह बाहिरस, आमदारे मारिसए जमकार पाणिमाधि पोयषु करहिं पाथिर गाइ निरा अध्य भान जापहि मादा विमा बम पुरिवा
जाए जपइ बहु तव उपईतो विष काम हमेई एक समय बप्या मुगइ भाडा गइ पाकिर देई अम्बा संजनील पुष बच्चा बेसन मात्र
का संगम व मुरुमादा तो पावहि पिवार और कवि स माध्यामिक्या को महामन्य के भिवास स्थान ले जाता है। भाषा की भरलता, रचना की मीडियवा लोक भाका मुलासा, मृद चयन
या प्रासादिया इस्टव्य है। रकमा में पद साहित्य के साथ साथ गर्म मापी भी है। कवि ने निर्माण की प्राप्ति कराने वाले महानंद का निवास स्थान किसने कमान बाराम किया है
जिवा मार हा परिभ होई णि बेडमा बस जिब बाबा विरला बूकह कोई हरित विधि वाडी माधि लक्षित गाह मध्य गरीरहे मौवाड, वादा ही गुजी बसाई