________________
८२०
: आनंदा :
wwwww
विषय की दृष्टि से रजाओं में विचार करने पर एक अत्यन्त महत्वपूर्ण रचना "आनंद" उपलब्ध हुई है। रचना अप्रकाशित है तथा इसकी एक प्रति अतिशय क्षेत्र कमेटी महावीरजी भंडार जयपुर के अनुसंधान विभाग में सुरक्षित है और एक प्रति समय जैन ग्रन्थालय बीकानेर में।
प्रस्तुत रचना का नाम कवि ने आनंदा रहा है।जो आनन्द शब्द का राजस्थानी स्म है। पूरी रचना में प्रत्येक के साथ साथ कवि ने आपका हृद का नियोजन किया है। रचना का विषय आध्यात्म है। द्वावधि प्राप्त वनाजों में आनंदा का विषय विवेचन मान में आनन्द का कुरण करना है।जीव और ब्रहम आत्मा परमात्मा तथा सइत्तियों का बाध्यात्म की ओर उन्नयन करना ही आनंदा की मुख्य संवेदना है। आविकास के अपश जैन साहित्य में
fear प्रकार मुनि रामसिंह की कृति : पाठ दोहा मिलती है ठीक इसी प्रकार की आध्यात्मिक रचना वादा है। अप्पा बुक्का परमपर तो बरसा -
अपनी आत्मा को भ्रमको आत्मा ही परमात्मा है उसका निवास घट घट
氨
अन्य नहीं। वीर्थयात्रा कसा कि ठीक है।आदि मान का कवि ने इस यात्मिक काव्य में डाला है।
इस कृति रचनाकार का नाम पर मतभेद है।पर काव्य का अध्ययन करने पर यह प्रश्न हल हो जाता है। मादा चन्द का बहुत बार प्रयोग होने पर भी eye कालीवाल ने अपने देव' में कृति के रचनाकार का नाम मानन्द तिलक बताया है अपने मत की पुष्टि के लिए उन्होंने मदद के बार बार र प्रयोग तथा सुन मानन्द उत्तसई, मस्तक मागतिलक- आदि बाको डीह में रखकर वह नामकरण किया है । यो इस पंक्ति को पढ़कर तो इस किनान के स्थान पर कान तिलक (नाम तिलको नाम भी दिया
१- देखिए वीरवामी वर्ष ३ अंक १४-१५० १९० १९८ श्री कस्तूरचन्य कासलीवाल
का ।