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________________ ५७ (अ)- राजनैतिक परिस्थिति: श्रादिकाल की भूमि जिन राजनैतिक परिस्थितियों के आवल में पोषित हुई है उनकी संझाति असाधारण वैविध्य से परिपूर्ण है। १००० से लेकर संवत् १५०० ई. तक हमारे देश में राजनीति ने अनेक करवटे बदली है। राज्य के लिए होने वाली ये अनेक प्रान्तियां इतनी अधिक प्रसिद्ध है कि एक ओर उत्थान की दृष्टि स काल को स्वर्ण काल कहा जाता है तो दूसरी और इसे स्वतोव्यापातों का काल। वास्तव में भी उतावी कर रखी ग्वादी क इस मुग को राजवंशीय युग कहा जा सकता है। मध्य देश में ही नहीं मार लगभग सभी प्रदेशों में जिन राजनीति के हमें दर्शन होते है उसमें जितने भी उथल पुथल गुपये सब आदिकालीनदी नलियों में पृष्ठभूमि की निधि को जा सकते है। ये राजा लोग इतने अधिक शक्तिशाली थे कि प्रत्येक रागा स्वयं को ईश्वर का अवतार मानता था परन्तु सको बड़े दुर्भाग्य की बात इन राय थी किये परस्पर विद्रोह विरोध और यी क्या मदतोषवा बीभूत थे। मस: इन महत्वपूर्ण राजनैतिक परिस्थितियों की राय रखना किस प्रकार हो रही थी यही की महत्वपूर्ण घटना है। वास्तव इन राजनैतिक परिस्थितियों का अध्ययन निम्नानिको ने माना : (क) राम राम गजमीन विभिन्न राज्यों जो स्थितियों थी उगाने साहित्य मावि किया है। इन रानैतिक प्रादेशिक परिस्थितियों का विभिन्न प्रदेश और बालों के उत्थान पन ग पन्या रिता विभिन्न राज्यों ने बाइन बौदोनों ग प्रभाव मिलामि मा th.
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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