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________________ हिन्दी साहित्य के आदिकाल काग और समान आदिकालीन हिन्दी जैन साहित्य का सम्यक अध्ययन करने के लिए तत्कालीन गुगीन परिस्थितियों में परिचित होना बहुत आवश्यक है। साहित्य युग का प्रतिनिधि होता है। उसके चतुर्दिक समाज में होने वाले छोटे बड़े लगभग सपी इलचलों का उसमें समावेश होता है। अतः युग में होने वाली राजनैतिक, सामाजिक, धार्षिक, आर्थिक, सास्कृतिक साहित्यिक आदि सभी घटनाओं का प्रभाव साहित्य पर पड़ता है। अत: साहित्य में समान तथा इतिहास की प्रत्येक हलबल का प्रभाव चित रहता है। वास्तव में युगीन परिस्थितिया किसी साहित्य को समझने में भूल तत्वों का कार्य करती है। विस प्रकार किसी कवि के काव्य का सम्यक् अनुशीलन करने के लिय उसकी .गीन परिस्थितियों वैयक्तिक जीवन तथा दर्शन अर्थात मूल तत्वों का अध्ययन अत्यावश्यक है डीक इसी प्रकार उत्तर अपांच या पुरानी हिन्दी की इन कवियों को समझने के लिय उसके मूल में तत्कालीन ग बत्व का अध्ययन करना होगा। युगीन परिस्थितिया मुगीन परिस्थितियों में गत निम्माधिपातों पर विगर किया जाता है. (a) रामैतिक परिस्थितिमा, (a) शकिपरिस्थिलिया . ( कि परिस्थितियां (a) हरिया परिस्थितिया
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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