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जाते है तो क्षेत्रपाल की पूजा करते है। नपाल बेग विशेष के देवता को को है। लोगों का ऐसा विवास भी है कि क्षेत्रपात की पूजा न करने पर मावा में पत्थरों की वर्षा होती है, बी महीं आती, मास पढ़ पाता है।मामारी हो जाती है क्योंकि वेत्रणात मासी पूत, प्रेत, बैबाल, पिवार आदि रहते। और उसके दा होते ही पृथ्वी होने लगती पर्व सपने मते । म ममाव में भी येपालका का सम्मान है। गत बंग, बीना, वाइन सTS आदि यात्रिी द्वारा के क्षेत्रपाल का स्वागत करते है। प्राकृत में तो ऐसा न की मिला जिस सिल्व देवे आये निमित्त कम्पिकाउस क्षेत्र देवता के निमित्त कायोत्सर्ग करवाई अतः इससे यह कहा जा सकता है कि क्षेत्रपाल जनसमाज के सम्मानित देवता । विशेष प्रस्तुत विपदिका में कवि ने क्षेत्रपाल गुपों की स्तुति की पूरी
रना में कवि क्षेत्रपाल के वैभव का व्यास्थान प्रस्तुब करता है। उसकी शक्ति का स्तन तथा प्रशस्ति गान इस रचना में शिक्षा वारस्य में अवि यह विज्ञाना वाहता है कि वह कितमा अस्तिवाली देव है जिसकी
पूजा के बिना जीवन के साधना शान्ति पूर्वक होमा असम्भव है। इसरमा का काव्यात्मक दृष्टि महत्व पाधारण है पर भाषा का प्रवास या अब मन और दिवाक्यों की दृष्टि से १ीं खादी उरावली रनामों का महत्व उल्लेखनीय कवि का जन भाषा प्रवाह या कविता
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