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::श्री स्थतिमानि दाप्रथा क्या दिवतीय)
मेन इन सारा से इसी प्रकार के दो सदर मन्द और उपलध होते है। प्रथम द दों का था वितीय रकना बों में डिजी हई है।ये दोनों रचनाएं प्रकाशित की जा चुकी है। रमानों की मूल प्रति बीकानेर के समय केन अन्धालय में सुरक्षित है।
दोनों सद बपोनिष्ठ पडीक श्री पुमि म्यूलिप पर तिल गई। इन दोनों पाली रमा गाय की इष्टि से बिल्कुल साधारण है परन्तु वन की मधुरता सर्वत्र विमान यात्री की प्रतिमूर्ति स्थलिन का अन्दर वर्ष देशिल:
प्रथम-
जिन शासपि सिव सासमिति मुणियाई बहुमपि सीर कविन पामिय सील पूणि धूलिमइद जिम लीक (०
भयवली साया तरई अनुपम लि उडंडति धूलि माहिय ताधिय जना तिमिड ईति भूलि बब पुष मिन राबमिति एटामिन काम पुखमा नि नियमित भूमि मुकि बापान रकम निकाय भगा कर पीरिममा दिलबीच
रास मी रमानों पर विने तिम मा कोठामार पूर्व विद्यावावि प्रारण की पीठ के बरण प्रसीव निराश्य का परिया:मिबीर मानकर रोष मेव रस मिन मिया
महिरि, नाभि इपिचारि
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