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कवि ने छन्द में उनके पुत्रों के प्रभाव का मुन्दर वर्षन दोहा चौपाई दो में किया है। रचना छोटी है या छन्दों में है जिससे एक वरित मूलक प्रशस्ति स्तवन कहा जा सकता है पापा बरस और सरल उधरम देखियः
मंगल कमत विलास दिपिदंड, पाम सी बबीर लिनिया सबल संच मानवाहिय वा बग्निसुशिरि भोगनु मन ना नायक निहुँ पुवका बा बोबड वायु पसार इक्क बीड किन बनिया को गोयम गराउ -२)
शिरि गोयम गुरु पय का हिबा बरोवर जा नालक जिम गिरिपा, नब निति अंगणि बारा
कज्या मिशी से भक्यि गोयमु चिरित धरति वे गल हस्थिय इरिय मा इत्तक मतितरति
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गोवन माफि माम मध्यम मुमचन्द्र * मेक बन
बीपि स्य
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श्री मौन स्वापी
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मारकरी पो. सी गई कमेल का काम इस रमा पूरा कार
बारमा बीमौतम के वैभव, भान और मन मे सालwी गई।
नाकाम की मार ज्या कारक एवं बाकारिक ली।