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व्याख्यान उपमानों के साथ तुलना करके एवं विविध इष्टान्तों में बाधकर किया गया है। पूरी रचना १७ उप्पयों में लिखी गई है।
छप्पय वैक रचनाओं के १४ और ११वीं शताब्दी में और भी रचनाएं उदाहरणार्थ आत्मा बटपद, बटपदानि ज्ञान उप्पय मिलती है परन्तु इनमें उक्त दो ही अधिक प्रमुख है।
मुक्तक काव्य की दृष्टि से यय सम्बन्धी इन रचनाओं का पर्याप्त महत्व स्पष्ट होता है साथ ही छन्द की दृष्टि से भी इन रचनाओं का अपना महत्व है।
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