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सायक जिम क्लोल करइ जिन सीड गुंजाइ जिम फुल्लिह सहयार बिहार कोयल रह कार सघोष छंट जिन जम्मवनि वतिय जिम
जिम पदम सूरि वित तिम बताये महगड
जिम अन्तर गौइक इवि अंतक मणि रमनि जिम सुरतक पलास, जिम मुय केसरि
जिम तक नग राम हंस, जिम दीव्य दिमयर जिम तक गो कामधेनु जिम अंत (क) सुरेश्वर
उदय
उदय कि
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te in of गमि, सुवित्त विज्ञइ जिम सोडगह वत्सु मसिहरु वन्निज्जइ
जिम तह बिंछित करू सुरतरु महिमा महमहड जिम सूरमकि जिनमदसूरि उगवहान गुरु गह गड
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संसार उदय सुरवर मरनंदय
मनवमि, उदय सवय
दमक रवि कन्य, रम्य किं प्रमाभइ अनुपम उम गतिवति कयाम
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इन उद्धरणों से कृति की लंकारिक प्रावारिष्टा स्पष्ट होती है।
वस्तुतः पूरा काव्य इसी प्रकार गुच्छों की महिमा में लिया गया है।वारी ear प्रति मान मात्र है और मनकों के स्थान, उपदेश, पट्ट, आदि की तिरंजना काव्यात्मक प्रवाद, रेडिकारिता जालंकारिक कना आदि
की दृष्टि पर विवेक है। पूरी रचना एक मुक्तक काव्य है तथा प्रत्येक पद में विभिन्न माचायों को अषा से नमन किया गया है और उनके गुणों का
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