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वाह पट्टिा गुरु ठविय कावडम्य महोत्तर वैसलमेरह मार दमि पुह नागरि मर नारिवाइ मैंग का जि सामपि बक्स
जिन चन्द थरि परिवार बस संघ दिया (1) (1) कुक को बंसार, इक पल जग पाडा
अमाल मगल बारितछि अशी धरि भाव मुमति नवराति अलि धन धन रकम असलडि होर पाटि जाति पीरिम मुबानत परिसस नाम अमुक बम रतियामठ
जिन इस दूरि मान प्रापि परिपरि होइ बधामा (३०) इन काम्बात्यक ऐतिहासिक वर्गों के साथ साथ प्रस्तुत कवि की बाकारिक की भी इष्टव्य है। प्रकृति के उपमानों इवारा कवि ने अकारों को सम्माक्यिा । और उनका पक और अन्दर दृष्टान्तौ दवारा कवि के इन गुरुनों के गुणों का विविध रूप में विश्लेषण मि जिनसे उसके वर्षमान पाका पिछी और कई माम्भीर्य पर प्रगा । भाषा बयस प्रबास मामिला और ऐतिहाकिमहल स्ट" मि व पौर
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