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(७) वैज्ञानिक वर्गीकरण
___प्रस्तुत प्रबन्ध में रचनाओं के वर्गीकरण का आधार प्रमुख रूप से काव्य रूपों को दिया गया है। छन्दों और विषयों की इष्टि से इन काव्य रूपों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है ताकि वर्गीकरण में कानिकता तथा इष्टिकोण में मौलिकता आ सके। ( केवल जैन कति
प्रस्तुत गन्ध में केवल मात्र उन्हीं प्राचीन प्रकाशित अप्रकाप्ति कृतियों को स्थान दिया गया है, जो जैन कृतिया । अतः अजैन कृतियों का विस्तार में परिचय इस प्रबन्ध की सीमाओं से परे और विषयांवर समझ कर उनका शोधपूर्ण विवेचन प्रस्तुत नहीं यिा गया। अतः इतने विशाल जैन साहित्य का समाहार करने वाला ह पहला मौलिक पन्ध है। (१) कोरा धार्मिक एवं उपदेश प्रधान साहिता ही नहीं:
____ अद्यावधि आचार्य राम चन्द्र शुक्ल के अनुसार जैन साहित्य की साम्प्रदायिक धार्मिक और उपदेश प्रधान कार उपेक्षा की जाती रही है। जैन कवियों के प्रति उनकी इस सी धारणा का निराकरण प्रस्तुत प्रबन्ध में किया गया है। इस रचनामों का अनुशीलन ।रने पर या स्पष्ट ज्ञात हो सकेगा कि यह साहित्य कितमा विविध पुरी और सरस है तथा धार्मिक साहित्य और साम्प्रदायिक कहकर इसको बाहित्य की सीमाओं से मना नहीं किया जा सकता। (1) अजैन लिया।
बत्कालीन उपलमय जैन पड्व या बहा रबमानों के अंश मादिकालीन जैन अजैन रचनाओं के नात्मक अध्ययन के लिए दिए गए हैं जिनसे मौन रकनाजों की घोष की और बिइवानों ग ध्यान पा सके। (1) था परम्पराः
मिदी बन पाय प्रा विविध क्यानों की परम्पराओं (oples ) पर एक पिच विवेचन प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है। क्या परम्परामों और या कड़ियों का स्वन में मील होगा।