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(C) अनुढंकहि भुस्कळ तडफत, बी निपीडिय ज्योत
रहि जुत्ता इट्टर सहयडंतु बचावलि पक्का कढ कमंतु (९) कत्थय पण गगर मारि ओपि र सिबति सूलिय विधोसि
त्यय नियम बाइ मोहि, मन्नत्य हो पाइमोसि (१०) मऐमुवि दीहर रोग सोग, दालिद पराभवाविप्पजोम
चहरण परम चारय 'निरोह सडियाई परवधि विवह दोड' इस प्रकार पूरा काव्य इन्ही नीति प्रधान भावनाओं के आवरण की शिक्षा में पूरा हुआ है।इंज की गाथा के काम को प्रारम्भ कर कवि ने संसार की नश्वरता और कर्म विपाक का स्पष्टीकरण किया है। कवि ने यह काव्य क्यों लिखा यह कठिन है। कवि ने १२ भावनाओं- भसरण, संसारो, एगया, अन्नतंअसुइतं, आसव, सैवरो, निन्धरा, नवमा, लोमहामो, बोधिस्य दुतमा,धर्म स्वभावो महंतः का भी विस्तार में वर्षन कर कैतिक परिचम दिया है। १- पकडियः प्रस्तुत रचना में कवि ने कड़वक (... और ५) में एक प्रकार का २,४ और ५ में दूसरा छंद अाह -पपडिय -
करमत करह ममचारि ठाई बबि बंद बोडर मागाई बड पदिक मत्त बाद
एम पारि पाय पन्धयिक इस प्रकार इस मैच में ४ बरमहर बलम, और हरएक मण में चार पामार है। बल्सिन मा योपर है की स्थिति .. बा... और ५ में यह बारा गाव कि महा मादि। +मिति
बार बरपरएक चरण में ४ गण और समान मात्रा कम मन की स्थिति - अतःइस छंद के मिdिimageमिल है : सम्भवतः यह / वही है। शास्त्रीय
मक विशिक विवि परि सिम्ममा