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जहां तक काव्य की वस्तु का सम्बन्ध है इसमें कवि ने मुंज और विलासवती की प्रेम कथा का उल्लेख किया है । सम्भवतः यह काव्य कवि ने मुंज (२०५४) की मृत्यु के पश्चात् ही लिखा है। काव्य भाव प्रवम है। भाषा सरल है। यह काव्य कवि ने वस्तुतः जन साधारण में धर्म प्रचारार्थ ही लिखा है । अत: प्रस्तुत काव्य में लोक उपदेश और नीतिमयता है। कवि ने कथा के अतिरिक्त संसार की नश्वरता, ऐडिक जीवन के सुख दुखों का सम्बन्ध और उससे उत्पन्न हुई घृणा, नरकों का अत्य इस और जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के पश्चात कमीनुसार पुनः जन्म ही इस काव्य का वय विषय है। पूरा काव्य उपदेव प्रधान है। कृति शैली आलंकारिक है जिसमें विविध दृष्टान्त उदाहरण औरउत्प्रेक्षादि अलंकारों की प्रमुखता है।
मावना नाम को कवि ने अनेकमावनाओं का वर्णन करके सार्थक किया है। कृति भी भाषा में शब्दों का चयन उत्तम है परन्तु अपशब्दों की बहुलता है। कवि ने रचना का प्रारम्भ मंगलाचरण से किया है और पाचवी कड़ी में मालवन रिव मुंज की प्रेम क्या पर प्रकाश डाला है। कवि प्रारम्भ में ही जीव को प्रतिबोधन देता हुआ काव्य प्रस्तुत करता है:
रे जीव) नियुमि चैचल सहाय, निलडेविन गयलवि बज्छ पान nate fere fवह बात, संवारि मत्थि बह इंडिया (पद)
मुंज और विलासवती के प्रेम मीन का चित्रण देखिय:
मरन्यि मनि रमनीय देह, बहिर
देवि मान नरिदं गवरन्व बाग
बंद (५) मुल्य सम्बन्धी इसी गाथा का उल्लेख कर मनुष्यों को कर्मी की ओर तर्क कहने के लिए कवि ने
दिए है
विजय कामनवि संवरेवि
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विहावर पध, जिनवण महिम्न
पण लय मणि सिद्धईडि वि हच्छि बाच्छे ते द्वारवि