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________________ ७०२ (२) सयल सुर विषय चं तेण इस थल्लिया,मयण मल्लेग इक्छुब संपिलिलया राज गह गहिम पुष विस्ममित्तइमो, लोय पय वि अंबा पडिसेविणी (३) रहने मि पराजब बिसय समिम, पडिबोडवि ठाविय जीड मगिम __सा सीलबंत उग सेण धूय सीलिय विहं भवपाहि पाहून (४) मुभवारय मुन्दरि जव सुन्दरि दोबइ यादेती पमुख गुण रयण समिघिय भुवण परिदिय जपइ महापइ सीलथर ' (५) रोग जल जल्य विस भुक्मह मगगया,सीड करि मध्य चोरि उनसगगया भरि उभरारि भय करण ने देखई, मील ताण नामेणले नास इन कृतियों के उद्धरणों से स्पष्ट है कि भाषा में तत्सम अब्दों के प्रयोग मशः बढ़ने लगे थे। (१मी -१४वीं) ताब्दी की कुछ पुरानी हिन्दी की अंपिक कृतियां है: (१) पावना सन्धि सं० १३०. . जयदेव । (२) आनन्द प्रथमोपासक सन्धि-सं० १५२ के पूर्व विनयन्द्रसूरि। (a) सी मौतम सन्धि- अशाच कविकृत - १४. इसमें भावना सन्धि प्रकाशित है। प्रथा व दो इलियां प्रकाशित है। मावना सन्धि एक उपदेशात्मक मड काव्य है। जिसको कवि ने सम्मा 1. किम के पास पासरा होगा। इस रचना को सक्कों में पूरी की है। प्रत्येक सहक बस कड़िया और अन्तिम कामा ११ काडिया है।इस रचना के रमिता इमि देवी को पनि विदेवपूरि शिष्यों में थे। १. अन अन्धालय बीकानेर-सं. १९ किसित मुटके से प्राप्त। + बः -४ ११-१५.३१४॥
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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