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________________ ६४३ धम घमिउ पुरि नाद नीसाम नउ, गहगहिउ सुर वर्ग समाणनउ कल कली बहली रिण काहली टलबइ प्रज हुई माली दड दडी द्रमकी द्रमक्या अरी, इटहुडाट दुर हुडकी करी कल कलइ जिमि वारि निधि पलइ किमि भूधर कैपिटल टलइ विसम ढाक्स दूक्स ढमढमी, परहरी परमेरि बिहामणी मुहड़ नी महिली रिण साभली, प्रिय कहइ सवि ते मन नीरली 'प्रिय मुबिई मर मंदिरड लही, मकरिजे कइy विष वालही वीर कंकण भले भाडि बाध्या, राय हाथि तई बीडा लाध्या जोउ जीण मड भीषण माला, बीर ना सयर केसर याला चपल तुंग तरंगम पाखरिया, गुड गुडया असवार ते साचरिया नृप विराट 'बिनागज पाडवो, सहि गया समरामाणि माडवे कवि ने वीर रस के प्रतीक उत्साह की सफल अभिव्यक्ति अब्दों की मिठास, ध्वन्यात्मकता तथा अनुप्रासात्मकता विविध उत्प्रेधाओं में ढाल कर प्रस्तुत की है। उदाहरण दृष्टव्य है: पतलाइ शुभमा दलि ढोल वाजई, जामे असा किरि मेह गाड हीया धसूकई सर शेष सूकई मय बीहता कायर जीव धुंबई तवल नै घबके थर धूबबइ, अरितका मन में मद छूटबई किल किलाट करी हबकी करई घड पडइ भड राक रडी मरइ बाण धोरणि बिहुँ पथि घटई नाद सी गिणि तो गुणि सूकई बीर बी सिमडी माजह, गूढ गयभर तपी गुडी गावह अहह धाक धारणुक धानुक मि जडा, खडग धार कि कोडि खडखडइ समरि दूर बसा विचि मीभली, धसमस्या सुभट ते रिण साभली दुरपायक मायक सरियां हड चर्मति फोडई सुसरा यण मवि रथ यूं रखना धनी, तुरन सितुरमै रध माडमी पर षडई घर परि नाचता, रडबड शिर संगारि वा (८४-८९)
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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