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चौरासी बोटे अपार बहुत पाति दीस सुविचार
नई दिस राहर गाहिर गंभीर, चहुँ दिसि लहर कोइ नीक
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ब्रहृमण स्त्री सहि तिथवर वैस सूद तर्हि निवसहि अवर कुली बली सत ट्रमes ठाइ, तिहि पुरि सामित जाय राज
वलसाड गणत अनंत करहि गर्ज मोदनी विल
तीन संह चक्केसरि राउ, अरियन वल मानव परिवार (पद २०)
कवि ने १६ विद्याओं का चामत्कारिक वर्मन तथा प्रद्युम्न का विभिन्न देवी देवताओं से अनेक अस्त्र वस्त्रों की प्राप्ति का स्थल वर्णन किया है:
राजु छाडि गट तपकरण सोलह विइया बाकी धरण हरि घरनाह होइ अवतरणु तुहि निरति लेड पर दव यह थोडी तु राजा तमी ले सम्हाली वस्तु आपणी fse आलोक अरु मोडवी, जल सोबणी र दरसणी गगन बन पाताल गामिनी क दरिक्षण सुधाकारणी अगिनी थंम विद्या वारणी बहु रूपिणी पाणी वैधनी गुटिका सिधि पयार होइ सब सिवि जानइ सबु कोड चारा बंचमी नंबर धार सोलह विद्या नही बनार
(१८९)
विमा बोल का विचार बम्बर सिर मुस्ट पार नाम से वो रानी वरी असीमी कपट दीना पावडी विजय कोere जवार चंद्र सचासन सेवन डाल
dres हाथ काम सुंदरी पडून सायकर कडिदा दूरी
कुसुम जान कर डाह के कुंडल वल सम्बल पहरेइ (२२४-११५)
पूरा चरित काव्य दोढा बोचाई में है। परन्तु साथ ही वस्तु कूटक और
युवक का प्रयोग भी कवि ने किया है, जो जैन कवियों का प्रसिद्ध छेद ही रहा है
कुछ संयों के उदाहरण देवि
after stoe अलिक चल, निमि छोडड अव भोगवइ