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________________ ६१४ दिया। अनेक वाणों से कृष्ण की सारी सेना को विस्मित व्यामोहित और स्तम्भित कर दिया। दोनों जब प्रद्युम्न को मारने लगे, तो नारद ने वास्तविक स्थिति बताई। पिता पुत्र गले मिले। नगरवासियों ने दोनों का भव्य स्वागत किया और प्रद्युम्न व सत्यभामा के पुत्र भानुकुमार का धूम धाम से विवाह हो गया। इसके पश्चातु काव्य के उत्तराध में हेमंधर मुनि प्रद्युम्न को पूर्व पन वर्णन करते है। प्रद्युम्न को ज्ञात हुआ कि उसका पूर्व जन्म का भाई शीघ्र ही अवतार लेने वाला है तो उसने विद्या के प्रभाव से जाती को नकली सत्यभामा काममुद्रित पहिला कर बना दिया और पुत्र जान्वेवंती को मिल गया । पुत्र का नाम शान कुमार रक्षा गया। फिर उसका पारिग्रहण हुआ। जयसंवर व कनकमाला मी वहीं जा गए । सब प्रेम से रहने लगे। छप्पन करोड़ यादवों ने असाधारण उत्सव किया । में जिन वंदना करने कैलाष गए। धर्म की भावना हो गई और अनेक वर्षों तक जिनमेदना कर के समक्ष माये । केवली उन्होंने यादवों का संहार पूछा और गणधर से उनको नश्वर जान दीक्षा प्रथम कर ली। नाराम कृष्ण और मणि विलाप करने लगे, पर प्रद्युम्न ने सबको कर दिया और केवल में कैवल्य (निर्वाण) प्राप्त किया। संक्षेप में काव्य की कथा वस्तु नही है। वस्तुतः इस अधिकारिक स्था वस्तु के साथ अनेक छोटी छोटी घटनाएं चलती रहती है। जो प्रति नायक की भाँति ही कथा के उत्सर्ग में योग देती है। इनसे नायक के कई प्रतिवन्दी होते हैं जिनसे उसके शौर्य को गति मिलती है। अस्तु संपूर्ण काव्य में एक ऐतिहासिक सर्वत्र होता बाटा के अनेक मौलिक घटनाओं के वर्णन के था काव्य की प्रीत व कवि प्रतिमा का परिचय मिलता है। पूरा काव्य घटना प्रधान है जिसमें विविध वनों की कड़ियों का उम्मे # पादप और कला की दृष्टि से विचार करने पर प्रस्तुत चरित्र काव्य वरिय काव्य बहुत बड़ी संख्या में से कवियों की एक विशेषता यह भी रही है कि का महत्व स्पष्ट हो जाता है। मिलने लगते है। यही नहीं, के
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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