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मिलता है। परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं कि रास चरित काव्य नहीं होते। कई राम चरित मूलक आस्थान मात्र होते है और कई चरित मूलक आख्यान राम, पर्व, पवाड़ो आदि शामिडित किए जा सकते है। कवि ने रखना का प्रारम्भ चौबीस जिनेन्द्रों और गुरु चरणों की बना करके की है।
* स्वामी चरित पर अपत्र में भी मन्ध मिलते है। ईराम तथा का इस प्रसिद्ध नायक पर लिखे गए है।जयपुर के आमेर मंडार में बम्बू स्वामी बरित सं० १०० की अपक्ष की कृति प्राप्त है। जिसका उल्लेख कई विद्वानों ने किया है। यह कृति अप है या ११ धियों में इसका वर्णन है। इस रमा का लेखक बीर कविहै। अपच की इसी परंपरा में व बरित गव्यों की इसी श्रृंखला में अपाशतर रचनाओं कविधर्म व यह छोटी सी रचना भी उल्लेखनीय है। खनाल ४. छंदों में लिखी गई है।
जहा तक सम्वृ स्वामी चरित के स्थान का प्रश्न है थानक अपने में उसमा हुआ है और नायक के पूर्व भवान्तर से सम्बन्धित राह षिक नरेश द्वारा महावीर वईधमान न स्वामी पूर्व जन्म स्पष्ट करते है कि किस प्रकार वह पदमरथ के यही शिवकुमार केस फिर विमाली केस में
और फिर रिमोसी को मार नाम से उत्पन्न ना। बीपी कवि ने कई अन्यानों का वर्णन किया है। कवि ने बाडिक मोइस पर प्रकार बाला..
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