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पुड उगूमि सुणी ससुर बाजइ दूर
चटुटल लानित पालटइए, भोजन कूर कपूर विलि बढी सलीय वाढीव विविध ब
रमई राम तू रमइव डीवडा माहि त
विलसित वसुही विवहपुरे, सुख संपति संयोग
कपिल की स्त्री को कवि ने किस प्रकार वृक्तियों इद्वारा तथा नीति पूर्ण उक्तियों
द्वारा समवाया है। सुदर्शन की मित्रता में डूबे कपिल और उसकी स्त्री की नाटकीय संवाद योजना उल्लेशनीय है। पूक्तियों का प्रयोग कवि की इस वर्ष शैली ही रही है। एकादाहरण देखिए:
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२.
वीडय विग्रह लागी बार
मंदिर मोड कवि क पूछि घरनिई सामति स्वामी वात fafe नमतीन पोर्ट न हीय हिव हु बोलि विधा
मूरख मुमुच मकार कह गडली गाय नमरि
जस जा गति मानव न हीय अवरन इषि संसारि
स्त्री की काल विम वाथि लंगि विकराल
काम मुमृधा पारिमी का एक सरस चित्र देखिए:नारि वक्म सेठिs नीम, गोल कर जोडि पोत पुस्वार का ही अंगि अम्हार को ठि retas मोटर पण, नर निई मुवति काम बाहिर बोला पाठि जाइति माडरी मागढ arfafe afed मान ही उपान करि
अमेरिकी वह इन कपिला करवस चार
गर हरजन का नाजिर महिला जागर मर्म
ठिन किसलय, कपिला माणु पत ( ५२-५५)
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(३२-३५)
fee का व्याये वरवीया, नारि स्वामी ई नीरव