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जिन मंदिर जिन वरती, गुण माई गोरी
मदास उत्सव करि पुरि मंडलिधोरी
सुम वेला सुत जनमीउ जागि जड जडकार
तेज धवन तेतनि, अश्वनी कुमार ।। (६-७)
कवि के वाहन के नगरी काचित्रात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है जिससे और तत्कालीन सांस्कृतिक तथा सामाजिक जीवन पर प्रकाश डाला है। भाषा सरल, age चयन लोक बाबा मूलक तथा प्रवाह पूर्व है। अप का प्रभाव एकदम हटा हुआ प्रतीत होता है। एक उदाहरण देवियः
विप्र वेद बडू उच्चरईप वेदमिति बोलि सोना कि पीए, कुपन पनि डोल पैच शब्द निनाद कर निपोष निरंतर
लोक सम वढि करड, नवि दीसि अंतर aftere जावा सहि,जस्थान ल्याबइ मंगल करणी कार ठरवि वो कुमर बंधावि
परी वटा परिवाहि दी है अबला बाल
सवर सुरंगी वा गडी चाल
सुदर्शन का विवाह वर्णन मी कवि की शैलीगत सरलता तथा प्रवाह का परिचय देवी है। वसंत का वर्णन क्रीड़ा, पाणिग्रहण उत्सव मीर कथा के रूप का वर्णन कवि ने
संगार के साथ किया है:
चैत्र व कुलीयार, उम करि चार
gars ने बाल पीर जिहां मवि राइ कुमा यो दिन बेसकीय मनि बीहावी afठकमा बोझ जन जनि जानी देठित बेटी गुण सागर समय नागरमा अति बंग agवर्धन परerator मीबाइ रंग इ परमीडिये परि मानीटर की गति र मर्म दिन कन्या जोइप जान उ