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युद्ध वर्णन के स्थलों में पदलालित्य भाषा सौष्ठव और अर्थ गापीय आदि इन्टियों मेबड़ा उत्कृष्ट है। कवि का भाका प्रवाह उल्लेखनीय है वि निर्वेद और आध्यात्म वर्णन में ही बल नहीं है अपितु विवेक और मोह के युद्ध के श्री रि ने बड़े प्रभावशाली चित्र बी :.
असिवर मलकावई दल समहावा मुमति कता भावह कीया कटकटच अरिहंत कुरा बाजि मान लईति पोर अभिप्रह कारक किरई योग अंग गयबर गुडिधाई पुमा भाव उठई सवार, रथ सहस्त्र मीसँग अदार (४०) साला जिम दल माफल्या गयवर गयबरि मरिसा मिलिया रथि रख पाबक पायकि बडई छोडळ सरिस मिडइ रळि लोहन पहबई कोसि राउत पुरई रोपि
पाहा फलकई बीज निसिया, मुरमा मन तीण इसिया पायक पुढई सबी ग. ती उपरि अपरना हेज धिर पूरि रम साश्या गाई तिर पुटा पापा-ममधाइ ली दुरंग मन शाहिना राई, परवा नाईटी बहा (0)
बाई मिडई पेडबई बम, चाईबई विषई अंग ईमा पई नई मा पाई रोबिई विकक्किा बोलई बबई mms
हथियार मोड पाठवा रति-नियेक पुरवि गालवा ब्रहम इषि बलका नाम मोर नरिद विवेकि इपिउ पानी बिपि नीर बर्ष कई बीर
समय मैदा पर उम्परावृष्टि मिटि गोलगर (1) विककी विजय पर मोर की प्रड पर उसकी की प्रवृत्ति अनेक प्रकार से बच होकर विलाप मती है। काम ने उसकी बनीय वा को भी बड़ी क्सम वापी