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वाजि अडा दूर अनेक, नारिकरई जवारणी प परिणीति रे वीर विवेक, साजन हुआा उतावला ए कहि कदम वाघ विकराल कर्हि व पि हुताशन जाल गिरि उपार्ट दिन आधार कडि चालते करवत चार डील पंचदल कर निषेध, कहा व साथ राधावेव व्रत राजा मनावर कुमारि सभा परी जब जेवन हारि राम दुवे उर मरता बीड ने उठाया त अक्ल अवी
पांच महाव्रत पाचर मेरु, बेड वातनउ म करिति रु भुज बलिवीह उपाहि भार तप करवतनी बाळ धार गावीय परिवह उपसर्ग बोल मोटा ववरी करई क्लोल साहस लाइ ते सीमई हनुवा राउत पायक रवि महा
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हेठी दृष्टि जीवन ध्यान, उरथ मुक्ति मी संधान तत्व कला विधी मन वाणि ईम परि राखावेच वरवानि
देवी उमाही बाल बायु केहि चक बरमाल
पीहरि बृहती कथा बलीवाडी मनि पूगी की। (३२८)
विन विर म प जण दीवई बीड़ा जब ए लेड लगन वाधावि पनि तेहा बहू भाि
प्रवचन-पुनि वचामीप, माई का प
वेलिडि मोरडी ए पकवाने परिई ओरडी ए
फिर एबम अमीर नितु करई
जिन इली जिसकी मुमनिधि हमीर (२२४) कवि ने इन वर्मनों के अतिरिक्त वर्ष भी बड़ी कला के साथ किया है।