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रमतूर व जीडं सवम सुक्त मार्गगई डीलि जे लई लक् जी बीस पुरंदर न ममाई से कई रंग जिम रमणि पाइ
ते पढाई देवा बागम पुराण जे कला बहुत्तरि चरई जान
जे सिधि वध करता वृद्ध गंग, ती गोरी कीधा भब्य भंग (पद २२५) इस प्रकार काम का पराक्रम, सकता, और शौर्य का वर्णन कवि ने किया है। काम ने यही नहीं समस्त ब्रहमांड में इलबल मनादी । कवि ने बीच बीच में नारियों का are fasa stee faलाप का वर्णन गीत पद्धति से किया है:
कथरीयड़ा रे काई तुम्हे पलउरे पल
मदमकुमार किन जावी मिलठ वयरियड़ा रे
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कवि ने दोहा का वहा प्रयोग किया है। उक्ति का अनूठापन और काम का वर्णन करने वाले कवि के कुछ उत्कृष्ट दोहे देखिए -
पाटू साठी कावडा अन नवरंग घाट,
ए अम्ह कन्हई मागि प्रेम नितु उचाट
दीव जड पोवई हुई पोकळं वह काधि, काही
करी लागा परडा साथि
कम हय कम वूडला,
नामोदर का
ए अम्ह कह (इ) समगिरि स्त्री लोग न पार
बाल बालि कि डालने त परच चोल
कन्ड मागिति नितु उस मोठ
जिवि बाई रंपी हुई विवि माई राडि,
बरि वाहिनि हामी महीन एम डि (पद २५८)
कवि ने विवेक का संयमी के साथ विवेक का दाविग्रह कराया है। विवाह की तत्कालीन रीति रिवाज, नारियों का मंगल मान, उत्साह और उल्लास का प्रायाकि वर्मन करता है। विवेक को परी तथा में अत सिंह दमन, अग्नि ज्यायान राचावेव मादि कार्य सम्पन्न करता है:
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