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________________ ५४२ गत करने के लिए आई हो तो पास में खड़ा कोई गणों का प्रतिनिधि बोल उठता था- कि अमुक व्यक्ति के लिए- उनमें कोई सम्बन्धी का नाम ही होता था। फिर उनसे पूछा गता था कि इस अपुक ने क्या किया है तो उत्तर होता था कि इसने सारी जाति को तो खूब भोजन कराया पर घर के अनुसार दक्षिणा नहीं दी। हंसो रे पाई हाहा हाहा। इस प्रकार के चार प्रश्न होते है। इस प्रकार चावरिया में अधिकतर उपहास-हास्य होता है। वाचर- चौक में गाने वाले पर्चरी गायकों की टोली या उनका प्रमुख गायक भर चाबरीया कहलाता था। उसके सम्बन्ध पुरातन प्रबन्ध ग्रह राधा वस्तुपाल प्रबंध प्रमशः ५०.०, ११९ और पृ० १८ तथा १७६ में प्रयुक्त हुए है उनका सारा इस बक्त एक रात्रि में पाठशाला में रहने वाले श्री विजयसेन सूरि को नमस्कार करके मंत्री वस्तुपा दूसरे भाग में रहने वाले श्री उदयाभरि को वंदन करने गए परन्तु वे वही नहीं थे। इस प्रकार तीन दिन तक उनकी प्रतीक्षा करके पौधे दिन विनय पूर्वक बड़े गुरुत्री से घटा- तो उन्होंने उत्तर दिया मंत्री आजकल इस नगर में एक बावरीक महाविदवान आया है। उसके विशेष वचनों को सुनने के लिए प्रतिदिन वेश परिवर्तन करके मूरि जादै । यह जानकर मैत्री वस्तुपाल वही गए और भूरि को प्रमान रूममें देखा। प्रात: मंत्री ने उस वरीगाक को बुलाकर २०७०) स्पया देकर कहा। तुम्हारी पोशाला के द्वार के पास के बम्पर पीक चन्चर माडोइस प्रकार महीने तक वह माडता रहा फिर उसका उचित सत्कार करके उसको दिवाई दी। ( वीरधवल राज के बारे में क्या है कि उसके प्रदेश नाउदी(नादोब) में रहनेवाला महारदीयो बहुआ हरदेव यावा बझा गावरीयाचक का शिष्य था वह एक बार बारामती आमATIATE दिन बाद उनके परिवार का साना समाप्त हो गवाह चाचर प्रदान करो। उसने कहा- वे धारण करो। संदेवनार के मनुष्यों ग मनोभिप्राय वैशबा रहता है। इतने में ही महाराष्ट्र का गोविंद बाबरीयाका पांचा वारस राम ..मालन बौपाई में ठस्थ थे। उसने उसको बम्पर बी वो फिर हरदेव ने चाचरीमा को अपने साथियों द्वारा प्रोत्साहित होने
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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