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________________ २. तुलसीदास चावरि मिस, कहे रामगुणग्राम (तुलसी) (1) हिन्दी भाषा कोश में चाचर, चाररि और चाचर, चाचरी वसंत रित एक राग होली में गवातुं गीत, चर्चरी राग, होली के खेल तमाशे धमाल उपद्रव हलच, हल्लागुल्ला, शेर आदि मिलते है। हन्दी में चाचरी चाचर, चावरि, चाचरी आदि प्रधणावर अनुस्वार जिना व सहित रूप वाले शब्द है। यह तो हुई बन्चरी शबूद के विविध अर्थों में प्रयुक्त हुए स्वरूप के प्रमाण अब आदिकालीन हिन्दी जैन साहित्य में प्रयुक्त चरी की भी थोड़ी सी बची करली जाए। गुजराती साहित्य में चरी के लिए कहा जाता है कि जहा दो दो से अधिक मार्ग मिलते है। बत्वर(संस्कृत) प्रा. चच्चर और पुरा ' हिन्दी में चाचर। • १२८५बसेंड में रखे हुए आबूरास की , पक्ति देखिपः गजर देसह मयि पहवणं, चंद्रावती नयरि बसा त्रिग वाचरि अउहह घिरा पढमदिर धवल हर पगारा उक्त पद गरि देश के मध्य में चन्द्रावती नामक नगरों का वर्णन प्रस्तुत करता हूँ। उसमें तीन रास्ते जही मिलते हों ऐसा निक्, पाचर- चार रास्ता मिले ऐसा चौक, का हट- चौहटों का विस्तार हो, तथा विद्यामन्दिरों का विस्तार हो, पहल स्था बड़ी बड़ी इवे लिया है। एक अन्य कोश में चाबर मद का अर्थ Y०( चत्वर) मन्डम के बाहर जो जुला चौक होता है वह, चलो अर्थ भी दिया है जो अनेक प्रमाणों से भरसगुजराती शब्द कोश में भी मिलता है-यह चाचर के आधार से बगा- चाचरियां शब्द का पूनम चरी गीत ही है। यह पावर में बोला जाने वाला, गामासाने गला गीत ही है । एक कोर में इसका अर्थ कल्वी ने उसको जैसा भी लगा, विस्तार से उदाहरण प्रस्तुत करके ऐसा स्पष्ट किया है- न चलाकी देवी के गप लगन के चौधे आठ दिन चकला की रक्षा करने वाली देवी का पूजन कर बलिदान करते थे फिर उसके गों की पूजा करते थे नारो विवाओं को बार उपहार रखे जाते थे और फिर एक के पीछे एक पानी की धार करके पूछने थे- बावरिया वाचरिया) तुम कौन सी
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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