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________________ ये वस्त्र प्राप्त कर उसकी इल्ति में चामत अनया -( यो बड़े चार से सुन्दर बोलों वाली इभ वाणी पर्चरी) अपक्ष काव्यगी में चचरी पर बहुत विस्तार से विचार यिा गया है क्या उसमें जिन जिन विपिन बिद्वानों ने बरी का प्रयोग किया गया है उनका भी उल्लेख है। अप काव्यावी के साथ साथ कुवलपमाला याया में भी परी को सम्बोधित करते हुए उल्लेख मिल जाता है।' ... प्राकुवापशादि भाषाया चञ्चरी, चाचार, इतिनाम्ना संस्कृत भाषाया य वर्चरी इति सेवा प्रसिधाया मीनत्य पूर्व गानकीडन-गम्फनादि पद्धतिः प्राचीन परिज्ञायते यतः कवि कालिदासो विक्रमोर्वश्याच-तुर्थ प्रभूतानि चरी पद्यान्यपश माकाया व्यरचयता हरिपसारिः सारा दित्यकथादो दाक्षिण्य चिन्होयनाचार्य: कुललयमाला धाडदी, शीलागवार्यश्चतष्पचासम्महाब चरिते कविः श्रीरलावली नाटिकावा: प्रारम्भचान्या स्मरन्ति स्मवर्चरी मॉपिंगलनाग हेमचन्द्रोदय: प्रतिपादयन्ति स्मपर्चरी लक्षणानि निजन्य: शास्त्रान्बो नुशासनादी) प्रसिद्धयत् बल कवि मोलणकता चरी इस प्रकाशित प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह । उपलभ्यते चान्यापत्तनीय जन भान्डागरादाबेलाउली रामेण गीयमाना ग्वजय माउनादि जिन स्तुतिपाचत्रिदेशगाथा प्रमाणाम्रायो विक्रमीय बतदेव शताब्दी सम्भवा इतरा र पूरी रामेष गीयमाना गुरुस्तुति मा संक्षिप्ता पंचदगाधा परिमिता। यमकालंकारा दुयलकता प्रस्तुत चरीद सप्तचत्वारिवत्पद्य प्रमिता जिन बल्लभरि स्तुति पा चैत्यविधि प्रधाना संस्कृतवृत्ति समन्वितावृत्ति कृत्सुचनानुसारेण पढ (ट) मंजरी भाषया नुत्पषिमीयमानाचायो। पटमंजरी रागो असुचि बल नारद कुते इस श्व प्रकाक्ति गीत मकरंदादी दृश्यन्ते प्रभूतानि पटरी पड़यो नि विम्पाष सप्तम साब्दी सम्ब ईपाद प्रतिषि विरचिता पर्चवर्य विनिश्चयाबिक श्रीदत महामहोपाध्याय हरिप्रसाद शास्त्री महाश्यः सम्पादित अंगीक साहित्य परिषदा काशित बौदयमाने मी बोगस पुस्तके मि००८ को परमंजरी पाया रचित गौतम बरि कपालम्बो परखनीय नपाडामारोबनेन पट(३) मंजरी रामस्य चिरान प्रतिष्ठासीन अपशगव्ययी पु. ११४ीडी बलाक २-जहान कैवलिया अपए निगम जोर सबाई रामणव्यक्त महामोह मह महिवाईअक्सिविन माय बच्चरीरसंबोडियाई। अर्षियत बुफा लिप गुरविर विनाकिवि मुना करिबकरियव्यवहारिन्ययाविदये। कसिमकालबनेकाममबसबिरीपषिलवण कडिल पार वितर बालबाकि बावलिबलमा रामम्मि जइलयमा जुबद्रीसत्वर बुड बिपापो (कुजल्याला यायो) (मtar)
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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