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सिद्धान्त सूत्र कीपई सुविचार, गुना गोअम जोउ गणधार जाइ पाप जस लीघई नामि करउ पसाउ प्रप गोतम सामि (६२-६५) कल्पम धर्म निहालि इस समाकित मूल गिउ पालि बारहवत डालि पसरी जोड़ तप नी कूपल मलाईसोइ सीतल छाया विसमउ भावना नीरिहि सीविड धरत फुल पत्रबार देवलोक जाणि, पह वृष मउं फलमुकरि निवाणि निश्चई तरिसिई से संसार के पुण ले सह संजम पार पंच महाबत सूची पर गति सिरी ते जाई नय वरई चरित्र भणी खडाह धारु पुण्यवंत पालह सविवार महाव्रत नउ न धरइ मार बार, व्रत नउकरउ अंगीकार बारहंत धरि सम क्ति पालि, इसी सामग्री मनीगामि मालि कूड कपट नइ काइ लागउ साथि, इसा त कल नहीं बडा हाधि
विरला पुन्यक्त कोइ साह, वेटा रिदिन तपउ समदाय धर्मवंत विनयवंत होइ भक्यि, कुटुंबउ भणीई सोइ धन कृतारथ नरनारि जे वरतइ जिणधर्म ममारि समोसर पि प्रभ कई वाम तीई नी प्रसंसा महाविवेकान
आगेतीह न बक्क वृत्ति रिदिय बउद रयण छइ अनय नव निधि रारिधि सडू समुदाय जोहबसि एक्वसई जिमनार कामधेनु सहि बाधी बारि, चिंतामणि तीह धरह ममारि मोर मयन मउ नहीं कोड, लापु जीहि चित्ति एक वसइ अरिह (-)
इस प्रकार पूरी रबमा सरस बरपा इस्ट में लिपी गई है।रमा अब प्रधान था आध्यात्मिक संवत्र पूर्फ जम काव्य है। जिसका प्रचार जन सामाख में खुब रण गेगा। बसपा शक बनामों की परंपरा यस्तो कुत चिईगति बरपाका स्थान महत्वपूर्ण कृतियों में सदैव बना रहेगा।