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________________ का परिचय निम्नांकित वर्षनों दवारा मिल जाता है:. व्यापार वर्णनः कवि ने तत्कालीन आर्थिक स्थिति तथा व्यापार का सुन्दर चित्रण सींचा है। व्यापार का बढ़ा चढ़ा होना, विदेश से यथा सिंहल * इवीप व्यापारिक संबंध, माल का गाड़ियों द्वारा पहुंचाना, वणवारों द्वारा व्यापार आदि का सही वर्णन मिलता है। सिंहल द्वीप व्यापार का महत्वपूर्ण केन्द्र था। गाड़ी बैलों पर माल लादकर ले जाने की प्रथा थी। जिनदत्त का १२०. व्यापारियों को लेकर व्यापार पर विजारों के साथ गाना तथा सिंहल जाकर व्यापार करना आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालता है। इससे सिद्ध होता है कि हमारे आर्थिक सम्बन्ध विवेतों सनु बणजारे पर इकठाइ कोस पंच दस मिलिए जाइ सख विणबारे चतुर इल, बारह सहस चले परि बल्ल जो पतिही अबूझ मजाक सबमहि उवहिदत्त परधान (१८-१८४) मुनि राइ सिहि कइन्तु माइ, संथल इवीप पहूते चाइ बनीवारा हि बाहरि सद, कय विकेण दीपि पर परति पोल मधी बाबर देखि, आधु सांधी बारिवि हि काहि पण वाहन पर गमवाद, गो सराह दीप भोगवा नवनिहि सत्रबह रसव हार, विजया देरापी पिवार (२-01) भाषिक रतन पदारथ बड़ी विवि बिपि हीरा खोने पडी को पानि मुस्ताहरू जोडि, लाहा मोलि पुणवचन कोटि (06-101) रचना कहीं कहीं हास्य रसपी नियन्म मा है। कहीं कहीं बलव रस (१२०-१०) कापी बर्ष कवि ने रना को बालीन बनाने के लिए अभुत तथा महल पूर्ण घटनाओं का बी निवत्व का बौना कमकर राजबमा में जाना शरीर परिवहन करना आदि सभी मार दिया है।कही कहीं अति प्राकृतिक सत्व भी विमा का पार करके गाना कलाओं में प्रवीन होना। रामारी
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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