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(२) बहु विवाह और आभूषण वर्णनः
बहु विवाह की प्रथा पर भी कवि ने प्रकाश डाला है। हीरा मोती माणिक और रतन पदार्थों से जड़े कपडे तथा आभूषण स्त्रियों पहनती थी। स्त्रियों में पर्याप्त स्वतंत्रता थी। अतः इस काव्य के आधार से यह कहा जा सकता है कि उस समय में स्त्रियों में पदी प्रथा नहीं रही होगी।
सांस्कृतिक स्थिति पर भी रचना में पर्याप्त विवरण मिल जाता है। बा वर्णन fears के तत्कालीन रीति रिवाज मंगल कलवों द्वारा बरात का स्वागत, लगूम, चैगरी, मंडप तथा विविध वैवाहिक लोक गान आदि सभी बातें तत्कालीन सांस्कृतिक जागल की पृष्ठ भूमि को स्पष्ट करते हैं। यही नहीं लोक कलाओं में नटों की कला बड़ी प्रसिध थी जिन्हें राज सभा में प्रदर्शन कर बड़े पुरस्कार प्राप्त होते थे। संगीत में भी ये लोग पहुंचे हुए थे लय, ताल राम नृत्य द्वारा वे लोग मनोरंजन और नाद विनोद किया करते थे इस प्रकार संगीत नृत्य, लोकोत्सव आदि सभी कलाएं प्रगति पर थीं। ऐसा स्पष्ट होता है कि कवि ने यह सब वर्णन बड़ी प्रासादिक शैली में किए है। निम्नांकित उद्धरण देखिए:
(1)
पंच समय बाजेवि तुरंतु । न परियणु वाले बराव wafa जा न बड़े एक बारवर भीडे हरे पक्नु साजिति गरि परीवाज मलामी वरी
डाडी डोला जा
(२)
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#1:
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उकड बुक देव विवार
। पुनि हो होडल की बार
चरी रवी परि बास अरु थापे बुम कलाव
गावहि मी नाइका कु । कारी पृष्ठि मोठी नउकु (१२०-१२१)
बढे विवाह (११६-११८)
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