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माह देसु पीवरि मुहिसार वासव सुरह अहि सोचारु पण कप कंचम सन्ध विसूर बर तुंग पिहिय कसूर । (३६)
(1)
वामिक भग बइद बासीट, वाढइ बेसावरुड बंदरा विवारी विहारई वायु वाडेवारी दुरु बहु विहार जीव रस व विहारिवारिदिया वृह विवाह अणियार नहि बसंतपुरि रह कई
___छह बउवीस वकार (10)
(३) र सामीय साहु मोळियहि सरि सरवर सावयाँ
सव्वल अस्थि भारंग साहमा सिह सोडा सहियमई सिरि वसंत साहिया समाण दसम बीमा सत्यवर सत्य सवण सुइसार मुन्नस सील बसंतपुर
हि कबीस सकार 10 मोह पार भानु मायारू भउमरि मार परविषु पशि मत कति कोषि सीबई महमंच पयासह उहि माबि का उन वीमई मान मंगल पोक सहित मा जलपीय भवाइ लाख र
बीच मकार विडी- (1) उक्त तीनों सवारों ने बकार, सकार और मकार की बालित नागर मनुस्यों का वर्णन किया था बनिन पदवीस कारों नगरी को रविच बनाया है। कवि की मगर वर्णन की इस ली मौलिकता स्पष्ट परिलक्षित होडी बी पति माय की भूजन है।
गार वर्गम का सौम्य कवि स और नाशिक वनों में देखा जा सकता विहान सन्या और मशिस का वर्णन किया है वही उसके उपमानों की मौलिकता पक्या बापाविक या प्रतिमा रहि विमलमती सौन्दर्य वर्णन प, विवावर मारी ज्या रामारियों के माति कवि का गार वर्णन