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उल्लेखनीय है | देखिये
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सोजि सुंदरि पयण पुत्वा रारांती यह संगड़
कीलमाण सरवर वइठी सेलेवीजलपग्रह परासि मइ बैठि दिठिय as माणित हो मणिय इम उपs सुत धारि
तासु स्व गुण वनिबट का रस सुविचार jets a कस मोहइ पाठ चालत हँस देइ त माइ जानू थाबू विहि वहिवाहि उपरि नेउर बाज ees व सोहई पिडरीज छहिते पिंडरी
जंप जुयल कदली ऊपर। तासु लोक मूठि माइयइ जणु इति अगवणी सह रंग वह तहि धणी मीले चिर उज्जल कारव जव सुबइ दीसह कारव
तिमिण जणु रेह
चंपा वणी मोहड़ देहगल कंवल पीत्यणि जोधण मयसार उपपोटी कडियल वित्थार
१ हाथि सरिस मोहहि भागुली
२ महत दियहि कुंद की कली,
३ द्वाणि सुरेश कवि से कहे। हे
४ व वल तु काटि
इलोनी अक गाठी लीवहरु पट्टिया सोइय गीव arfe कुंडल इक सोनुभवी नाक कापू ज बातमी मुडमंडल जोवइ मसि वय दीड वडू गावह मिय पनि aft केहो वपचा किमान हीरामणि चिरम पड गयण धणु बचिन घरी । दिवड लिलाट तिलक कुँवरी विरह मोम मोम परिचय पीठनलि बिंषी कलड़ नाव विनोद क्या मायली पहिरन जड़ी करी
इकु हि गरि देह की किरवि अवर रल्ड पहिर आमरण जिस यु बाss वि पसारि काम वाम हु चाल मारि हि को न वब देवि सरीर मन कुलाई (८६-१००)