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कर कोड अम्हार काजा नरवइ भणइ दियउ अधराजी सुमदा जइ छीतर प्रागुर नरवई राज धर्मकरउ करउ अवर सिद्धा ले धंधोले सील प्रभावि उपाडि पनले (२६-३३) महासती के प्रभाव का कवि ने अपूर्व वर्णन द्वारा उसका स्वागत महत्सव सम्पन्न
अन्त में सुभद्रा की विजय का वर्णन है। किया है।वार आदि विविध वाच होता है और उसके शील की विजय होती है। कथा प्रवाह का एक उदाहरण ही
अलग होगा :
धरि थक्की सासू कर करइ, विजय पवडित सुभदा करइ
उगी आम बोलिसि मार, ड वयनिर्हि मह हियइइ वाहे
सात वरीमी तेडिय बाला, सूत कतावण लागी ताला
काes areणि बाधी चालीम सुभदा वा ऊप बमी चालवियह जर पाणी उधरए तिनिउ पउलि उघाडी करए लक्क्षण कवित न लंगी घड़ी सुभदा तसिहि पउली पड़ी araft राउ रoियात भर तिथि वह आउि ह थियठ यावर उपरि तबियत पाठ, आपण पात्र बलियो रामो geer सती बोल्ड वहि ठाम बी पारहि काम राउ बुल मदा मलर अगर महाराति बिन तुल पार्डवर परिafs छत्त मामइ नाचत माहिति पत् करहि कथा भाट नगरी सूध बालू व सुका पढी
frica सुवास मंगल वाहि, धवल दिमता बहुबाजहि
इन उच्छ नगरी बकरि घुमदा महती बीड डुबारे (३२-४०) रचना में प्रथम दों की भरमार है।मयबर विकल्प, चंपा सुभद्रा वृदि विहान, पेपार्डवर चवत, वारे, धूम, बाला मादि अनेक उदाहरण लिए जा सकते है अधिक कभग सभी शब्द राजस्थानी है। कहीं कहीं अपने केश मिलते है। रचना