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उद्दीपन यात प्रस्तुत अप्रस्तुत सब रूपों में प्रकृति का वर्णन हुआ है। प्रकृति का उपदेशात्मक स्वामी दर्शनीय है। कहीं कहीं मानवीय रूप में पी प्रकृति वर्षित है कहीं उसकी रूपकात्मक नियोजना है। कुछ उदाहरण प्रसव पर्याप्त होग:. (0) उद्दीपन व आलंबन रुप में:
- विज्यु का रक्ससि जेव, नेमिवियु सहि पडियम म। २- कत्तिा सिविग उगइक ३. वणि वणि कोबल टहका Rs ४- माह मामि भाचा हिम-राखि ५- बासाहह विहसिय वगराइ
भयक मित्तु मलयानिक बाय
.. दहई चंदु वंदन हिम सीव ' (२) उपदेश म. एवं चित्रात्मक रूप में
•- मासिरि माय पलोमा बाल इस परिपक्षण नयन विमान २. ससि मामठ मास वसंतु इणि शिलिज्जा, अइइइ केतु .. सखी दुक्ख बीसरिया पनड़ संमति प्रमरर किम सम माइ
४. परिसह सर Fera मोम सिदि (भानवी बार नामक -
काम वापि कम पठान, राज इस किरोनिक
-भावरिया हिरा देवि
बिवली का रासी की गावि भामा, काकि वितिज पर पाक का उगना, बाराको का रोना और पत्तों बार करना मावि मत
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मेमिनाय सम्पविका : श्री मागावी. पद ३, ११, ११, २०, २१, ८