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१५वीं शताब्दी की यह कृति बुम है इसके पाठ का संपादन होना अत्यावश्यक है। नाबटा जीजा में प्राप्त प्रतिलिपि मे लेकन इसके अधिक अधिक उद्धरण इसलिए दिए है ताकि ऐसी कृतियों का महत्व स्पष्ट हो सके। कृषि की प्रवृत्ति पार्मिक तथा उपदेश प्रधान है। निदमय है। काय राव रामक, अनुष्टप, बार्दूल किया और आदोला प्रभुत है। इस प्रकार कवि ने १५वीं जवाब्दी
इस रचना वारा कान की परम्परा शिल्प विधि, भाषा, सा. पाक रस, या आदिसमी क्षेत्रों में नया क्या मौलिक योग दिया है।