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सभी का वर्णन कवि ने बड़े ही कौशल के साथ किया है।
दों के क्षेत्र में इस रचना का विशेष महत्व है। कृति निर्वेदांत है थ श्रृंगार और वसंत के रसमय वर्णन परिष्तावित है। जहां तक फागु काव्य के तत्वों प्रश्न है कवि ने रुप श्रृंगार, नशिव, केलि क्रीड़ा और वसंत का सफल वर्णन किया है। रचना का प्रारंभ मंगलाचरण से ही हुआ है। कविशिवादेवी के स्वपुन रूप
और नदशित का वर्णन करता है:
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और पीवर्धन बड़े लाचन के साथ किया है। का गठन विविध उपमानों के साथ किया है। पुरुषों का काव्यों में मिलता नहीं, परन्तु कवि मे मे भिगाम का इसी
कवि में विनाथ का विनाथ
प्रकारका ने किया है। वन की बाकारिक इबना देखिय: