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इसी तरह का छेद मिलता है। इसमें मात्रा १६ १३ होती है । पहिले चरण में चरण कुल द व दूसरे चरण में दोहे का उत्तराध तथा दो मात्राओं का गीत वर्ष 'मिलता है।
आदोला या आदोला
दूड़े के ११ मात्रा के सम चरण की आवृत्ति पर अंदोला छंद बनता है। दूसरे चरण में १०, १० मात्राओं का तथा ( ८ मात्रा का गीत वर्ण) होते हैं। दूसरा चरण लय में इस तरह प्रथम चरण से भिन्न हो जाता है।
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फागु और अंदोला छेद के उदाहरण क्रमशः इस प्रकार है:
कल भरि सहकार लहकई टडकई कोइल वृंद पारचि पाठल महिमहमा गडिगडिया मुचकुंद चंदन नारंग कदलीय लवलीय करइ आनंद
t
रम भमइ बहु मंगिइ रंगिई मधुकर वृंद
बार
यह भी चरणों का ही होता है। संभवतः रचना के कवर्णय विषय के
आधार पर ही इसका नाकरन किया होगा।
आंदोलन:- सारणि जय जयकार भट्ट कर कहवार
श्री च बी
बीच बविरु प
गंधर्व
नाजिम वाज मनरंगि गाई प
मान दीजई बहु विवान
संभवतः ओ रे की बात का की मैया बनाये रखने के लिए है। यह भी संभव का ही समानार्थी हो । राइ छेद भी काल में मिलता
है कि भोला
दोहा है। यह छेद हो यति है ही या सवा देवी का है। कहीं यह चरम में भी लिया गया है। मात्राओं का बना
है
या दूसरे का
करता है।
बाम नि बारे हैं।
है। इस काम में यह बार वरण पहिले
चरम में १६०१६
करम में ११ मात्राओं का दूहा का उत्तराई है मीटर के पहिले खुद के साथ यमक की दृष्टि
माया गारवीर और हम तीनों एक ही
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