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________________ ४३६ नायिकाएं क्रीड़ा में वासंतिक प्रमाद का अनुभव कर रही है कवि की अनूठी अभिव्यक्ति देखिए। विरहिणियों के मन की अवस्था बताने वाले दूहा फागु है। उद्दीपन विभाग को कवि स्पष्ट करता है: चंदरे तु गम मूकि म मूक्मिकिरण उबाड़ कोइल बोलि म मानसि मानसिक ताहरउ पाइ मनकरि मधुकर रुममुनि नीणि रहण सुहाइ मलयानिल क्षण माहरी थाहरी क्षण इकु वाइ एकली करबकनी कली नीकली गिउ अभिमान मानि अशोक अनोहक शोकह तण निधातु दव जिम दीठई करुन करणइ ए डिर्यु निकाल व दमन कि मन किहीं नहीं य चित्रां म पक्तियों में हे मलयानिल) बहो जिस तरह तुम्हारे बहने के क्षण है उसी भांति मेरे पास भी मेरे वर्ष होंगे। कवि का प्रकृति वर्णन भी आलंकारिक बन पड़ा है। शब्दों का चयन और आनुप्रासात्मकता रचना के सौन्दर्य और निसर्ग वर्णन की सुबमा में पूरा पूरा योग देती है। टालई ए केकीहर दोहर बल जिम से भीरि निरक्षिय नीरज नीरज का के विरहनि स विदेसक किक न िप ति विori विरह कवि वालिय इम पति चैव जंग कोरक चोर कह जिन वीडि मीठा प्राह मंडय गेट वधारई प्रीति erce परम पूजती जती पवन संवारि नव रंगि बनि विकसी असली जिम न विचारि ग्रन्थ, वही पृष्ठ |
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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