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________________ :: भरतेश्वर बावर्ती फाग :: (अज्ञात)-सं० १५०० के आसपास भरतेश्वर बाहुबली रास के बाद फागु काव्यों में भरतेश्वर के जीवन पर लिखे भावि कालीन हिन्दी जैन साहित्य में बहुत थोड़ी संख्या में काव्य मिलते है। भरतेश्वर वावर्ती भाग पैसी ही अप्रशिद्ध कृतियों में से एक है। प्रस्तुत कृति मी श्री अगरचन्द नाहटा के संग्रह में सुरक्षित है। इसी कृति की एक प्रति गुजरात विदया समा बडोदा की एक संग्रह पोथी में भी मिलती है।' परतेश्वर चक्रवर्ती फागु में कवि ने परत के वैभव का वर्णन किया है। अब तक उपलब्ध परतेश्वर बाहुलबली रास में बाहुबली और परतेश्वर का पारस्परिक दृक्द-यध वर्णन है परन्तु प्रस्तुत फागु में कवि ने परतेश्वर का ऐश्वर्य वर्णन क्यिा है तथा कवि ने अयोध्या नगरी की राज्यत्री और रानियों सहित मरेतश्वर की वसंत कीड़ा का काव्यात्मक वर्णन किया है।प्रारम्भ में कवि ने परत के भोगों और अम भावनाओं तथा रिक्ति और कैवल्य प्राप्ति का साधारण वर्णन किया है। इन फागों के बसन्त वर्णनों में पर्याप्त साम्य है परन्तु भाषा व काव्य की दृष्टि से प्रत्येक रचना अपना वैविध्य प्रस्तुत करती है। कवि ने परत चरित्र को फाय का म दिया है तथा चामत्कारिक वर्णनों द्वारा कति की रचना की है।फागु का रचनाकार बात यह कृति भी दोहा और का है और पूर्व बर्षित पुलोत्तम पाच पान्डव काय से पाच मेळ बासी है। पूरी रचना कवि ने ४ मास में लिखी है। कृति के कुछ काव्यात्मक स्थल निम्नाक्ति है। परस का ऐश्वर्य वर्णन: कंचन का नाद विमोईवी सेवर बिशपाई पुरखाल बालवा बालइ बस चामर बागी बी मुहर विमिल किरि गमावापी रापी दि सहस बास माहि इंद्राणी १- प्राचीन काम प्रा. डा. डेसरा Yoxe:४८ १.समय जैन बायपोथी .१४९ पत्राने. २९०-१२ - प्राचीन का .. ॥
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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