________________
अलंकारिक वर्णन करने में भी कवि का कौशल स्वाभाविक है। एक उदाहरण पर्याप्त होगा:
अहे पग पग नव नव संमि रंगि नच्चतइ पाउलि हाव भाव सिंगार सार नव नट रसाउ लि जिमि नाचणि तरल रंगि लोयष लहकाबइ
'तिमि विम माणस कवण मात्र सुर सगूगड आवद्ध र जिनपद्म के स्थूलिमह फाणु की माति ही प्रस्तुत काव्य रसमय है।नागरिकों का राजा का स्वागत, भी तत्कालीन सामाजिक प्रथा है जिसका कवि ने वर्णन किया है। कवि नै १४ कड़ियों में फागु का छंद राजेशवर कैनेमिनाथ के फागु की भाति ही रक्सा है। प्रस्तुत फाग दूहा और रोला मेलि सा गया है। भास शब्द सम विभाजन परंपरा का सूचक है। कवि ने रचना का प्रारंभ बिना मंगल चरण के ही किया है। यह जैन रचनाओं में पहला ही उदाहरण है।
प्रस्तुत फाग वस्तुतः १५वीं शताब्दी के महत्वपूर्ण उर्मिकाव्यों से है।
१. वही .