________________
किया जासकता है। नामकरण की कठिनाई को और अधिक सरलता देने के लिए आदिकाल का नामकरण- आविर्भाव काल- अथवा प्रारम्भिक काल - मी क्यिा जा सकता है। परन्तु - आविर्भाव काल- और प्रारम्भिक काल आदिति के ही पर्याय को जायेंगे। अतः उसमें आविषाव काल और प्रारम्भिक काल आदि नामों का सरलता से बाहर किया जा सकता है।
आदिकाल की सीमाएं:
उत्तर अपर की रचनामों की उपलब्धियों के आधार पर आदिकाल की सीमानों का निधारण किया जा सकता है। अप्रभंश अपना निर्मोक १०वीं शताब्दी से ही बदलना प्रारम्भ कर देती है उसमें देशी भाषामों को गतिशील बनाने के तत्व परिलक्षित होते है। साथ ही देशी भाषानों की लोकप्रियता औरउसमें साहित्य की वर्जना रीता से प्रारम्भ होने लगती है। इस प्रकार के उत्तर काल में माने वाली देवी माकानी की सबसे प्राचीन रचनाओं का वीं ताब्दी सही मिलना प्रारम्प हो जाता है। इसी प्रकार वस्तुतः विवध भक्ति कालीन रचनाएं उपलब्ध होती है वहीं से भक्तिकात का प्रारम्भ माना जा सकता है। कबीर के समय के सम्बन्ध में दो स्थिति अभी भी बिगत पानी पानी परन्तु उनके शिष्य धर्मदास का समय वो ०१५५७ मिश्विन और क्योंकि मीर धर्मदास और पीर से ही पति पदोलन का प्रारम्भ मामा नाग । धर्मदास वर्ष पूर्व से ही परिखकाल कीमतियों का प्रारम्भ माना जा सका है। शक में भी कमीर को ही परिमाल का प्रारम्भिक कवि मा मामा है वास्तव में आदिकाल की सीमानों को भक्तिकाल से जोड़ने वाले प्रमुख कवि वीर दी प्रस्तुत प्रबंध में माविकाल की बीमा..... .. मानी गई है। यो सामान्यता पक्ति की प्रवृतियों का पोरने वाली कृतियों के बीज बो उत्तर अपार की इन रनामों की मिला क्यों कि वैनियों और सिइयो मादिगम्य अधिकार बाध्यात्म भावना और भनिय प्रबो मन्त्रिक पारी उन ऋषियों को पतिका में मिलने वाली माया विकास