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________________ महीं कहा जा सकता। आदिकाल में मिलने वाले धारण काव्यों और वीर पूरा भूलक गीतों के सम्बन्ध में विश्वानों द्वारा पर्याप्त प्रकाश डाला जा चुकाहै। अतः उनके सम्बन्ध में किसी भी संचय को स्थान देना रोक नहीं है। इसके अतिरिक्त उत्तर अपश से उद्भूत उन सभी देवी पापाओं की रचना का विश्लेषण इस काल के *तर्गत किया गया है जिनके प्रवृत्तिमूलक तत्व मान है और जो आदिकालीन प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। अत: आदिकाल में पटाक्षेप की सूचक और भक्तिकाल के प्रारम्भ की प्रतीक विभाजन रेखा ५वीं शताब्दी के उत्तराईव से ही सरलता से गींनी जा सकती है। साथ ही क्यों कि वीं शताब्दी से पुरानी हिन्दी के मों को प्रस्तुत करने वाली किसी भी प्रदेश की देश भाषा पलिसी अश्यावधि कोई कानात्मक तथा कलात्मक रचना नहीं उपलब्ध हुई है, अतः देशी भाषा के सम्पन्न भविष्य को सूचित करने वाली उत्तर अपात्र या पुरानी हिन्दी का प्रारंभ 1वीं शतादी से माना जा सकता है। हिन्दी से तात्पर्य : वर्तमान भारतीय आर्य भाषामों में हिन्दी सबसे प्रमुख भाषा है। सामान्यत: हिदीवात्पर्य मध्यदेश की पाया है। मध्य क्ष वास्तव में अनेक छोटे छोटे मन पदों में विभक्त र म मन पदों का व्यक्तित्व हिन्दी की प्रधान कोलियों के म देशा जामा हिन्दी को बमको लिए मध्य देव न बन • पयों को समझना भी भाव है दी भाग भूल गगन पर गदि बिचार दिया गाय को की गोली की इसका प्रतिनिकिकर दी है परन्तु ऐसा करना हिन्दी लिया है। वासराव दी अनेक प्रादेशिक एवं देशी विभाषाओं बा बोलियोटा यो दिी की अनेक बोलिया प्रचलित श्री रमका अध्यन भाया है। इस मोतियों के अतिरिक्ष में प्राचीन विशेषताएं जीवन के प्रत्येक देश में देशी वा सन्नी है। मध्य देश के जिन प्रदेशों का समोदी की अनेक गोलियों का उपयोग होगाथा धान जनपद..
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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